शुक्रवार, 27 जुलाई 2012

सेकंड हैन्ड जवानी...

          पता ही नहीं चलता की कभी कभी हम इतनी छोटी छोटी बातों पर बहस करने लगते हैं,और वही बहस लड़ाई का जरिया बन जाती  हैं। एक दिन मैं मेरे साथियों के साथ एक होटल में चाय की चुस्की ले रहा था। बाहर  हल्किसी बारिश हो रही थी और होटल में एफ एम चैनल में गाना बज रहा था " सेकंड  हैन्ड जवानी" यह गाना सुनकर मेरे एक साथी ने कहा "क्या ज़माना आया कैसे गाने निकल रहे हैं आजकल, पुराने जमाने के गाने देखो क्या गाने थे।"
 मेरा दुसरा साथी बोला "क्या खराबी हैं इस गाने में? सही तो हैं सेकंड हैन्ड जवानी।"
फिर पहला साथी बोला "ठीक हैं तेरेपे सूट करता हैं, जैसा की पहली वाली को छोड़ कर दूसरी के पीछे पड़ा हैं, वही तो हैं सेकंड  हैन्ड जवानी।"

पहला साथी भड़क गया और कहा "सुन ! यहाँ मैंने उसको छोड़ा नहीं, उसने मुझे छोड़ा हैं।"
दुसरे साथी  ने जवाब दिया "शायद तुझे सेकंड हैन्ड समझकर छोड़ दिया होगा।"

            बात इतनी बढ़ गयी की दोनो इस तरह झगड़ने लगे की चाय नहीं बल्कि कॉकटेल लिया हो। फिर मुझे बीचबचाव के लिय  उतरना पड़ा, लेकिन  बहस इतनी जोर से छिड़ी थी की मेरी बात शायद उन्ही के कानों तक पहुच ही नहीं पा रही थी। फिर मैं बोला तुम दोनोही सेकंड हैन्ड हो । तब दोनों चुप हो गये, फिर मैंने  आगे कहा, मुझे पता नहीं सेकड़ हैन्ड जवानी क्या होती हैं। लेकिन इतना जरुर पता चला की आप दोनों की सोच तो सेकड़ हैन्ड जरुर हैं। अब हमें सैफ से मालूम करना पडेगा की सेकंड हैन्ड जवानी क्या होती है, क्यूँ की सिर्फ वही इसका सही जवाब दे सकता हैं। 

मंगलवार, 24 जुलाई 2012

यमपुरी की रेललाइन...





"उस हरामी को बोला था, देख रेलवे लाइन क्रास  नहीं करना, फिर भी साला बात नहीं माना  अब टपक गया ना।"  पांडे ने सर पर हाथ रखकर बोला।


"क्यूँ पांडेजी किसके बारें में बोल रहे हो ? वही साला रोहन कट गया ना ट्रेन के निचे, अभी अभी रेलवे पुलिस से फोन आया था,और पूछ रहे थे  क्या रोहन इसी कंपनी में काम करता हैं? मैंने पूछा क्या हुआ तो उसने कहा हमें एक लाश मिलीं हैं उसके पास से रेलवे का पास मिला हैं, उसीपे यही नंबर लिखा हुआ था।"


"आगे क्या करना हैं? उसके घर में इन्फोर्म करना होगा।" मैंने कहा।
"नहीं मैं उसे कई बार समझाया था की रेलवे लाइन क्रास मत कर, नहीं तो तेरी मौत की खबर तेरे घरवालों को मुझे ही देनी पड़ेगी।"


"आप  उसके घर जाकर बता दीजिएगा, फोन करना ठीक नहीं होगा  और उसके घर का पता तो आपको मालूमही  हैं।" मैंने कहा।"


 थोड़ी देर तक पांडे सोचता रहा और फिर कहा।  "इस हकीक़त को मैं कैसें फेस करूंगा, पता नहीं उसके घरवालों के  सामने क्या और कैसे बताउंगा।"


            हम यह बातचीत कर ही रहें थे हमारें कुछ  और साथी  वहां आ गएँ, और पांडेजीने पूरा वाकया फिरसे सभी को सुनाया। यह सुनकर हमारें सभी साथी चिंतित थे। किसी को भी  काम करने का मन ही नहीं हो  रहा था। उतने में हमारा एक साथी  इशारा करतें हुए कहा "वो देखो रोहन।" सब लोग खामोश नज़र से उसे देखने लगे।हमारें एक साथी तो पांडे को गालिया देकर कहने लगा, साला सुबह सुबह इस भैया की बातों में आ गया।


अब  पांडे को रहा नहीं गया उसने रोहन से  पूछ ही लिया।


                   रोहन शांत होकर बताने लगा।  "जब मैं अँधेरी स्टेशन बाजु वालें ट्रैक से क्रोस्सिंग कर रहा था, हमें पता नहीं चला की वह  लोकल उसी लाइन पे आ रहीं हैं जिस पे हम खड़े थे। मेरे सामने का एक आदमी मर गया और मेरा बैग उसके साथ गिर गया, और उसी में मेरा रेलवे पास था। हे भगवान आज तो बच गया। अँधेरी स्टेशन पे एक जगह ऐसी हैं की, सभी को लगता हैं की ट्रेन बाजु के ट्रैक पे आ रही हैं लेकिन कभी कभी  ट्रेन इस ट्रैक पे आ जाती हैं।"


          बात तो सच हैं मुंबई हर रोज कितने लोग इस यमराज के बिछाये  हुए जाल में  कटकर मर जातें हैं। हमारी थोडीसी लापरवाही हमें मौत के घाट  उतार सकती हैं।  हमारें पास हर जगह पुल बने हैं, लेकिन कुछ लोगों को वक्त ही नहीं मिलता की उस पुल का उपयोग करें। शायद यह भी  यमराज की चाल हो सकती हैं, जो उन्हीको समय के इस मायाजाल में अटका देता हैं, की वो सीधा रेलवे  लाइन से कटकर सीधा  यमपूरी में दाखिला ले सके । 





मंगलवार, 17 जुलाई 2012

बदल गया



            जब आदमी बदल जाता हैं तो क्या होता हैं? अक्सर हम सुनते हैं की वो बहुत बदल गया हैं। बदल जाना यानि आप उस इंसान  के हिसाब से नहीं चल रहें हैं, इस लियें आप बदल गएँ हैं। या आप जिसे भी कह रहें हैं की फलां आदमी बहुत बदला चुका हैं, इसका यह मतलब हैं की वो आपके हिसाब से नहीं चल रहा हैं।
अब यहाँ यह सवाल आता हैं की आपका हिसाब क्या हैं?

         मेरा एक दोस्त जो हैदराबाद में रहता था। लम्बे अरसे के बाद उस  का फोन आता हैं। हम फोन पर बहुत सारे बातें करते हैं। फिर एक दिन मुझे अचानक उसीके शहर में कुछ काम पड़ता हैं। तभी मैं उसे फोन करके कह देता हूँ की मैं कल आ रहां हूँ। मैं सोचता रहां कॉलेज के दिनों के बाद पहली बार हम मिल रहें हैं, हम बहुत सारीं बातें करंगे, शायद वो अब थोड़ा मोटा हो गया होगा आदि। 

          जैसे ही  मैं एअरपोर्ट पे उतरा और उसे फोन लगया तो उसका फोन स्विच ऑफ आने लगा, मैं हैदराबाद में दो दिन रुकने वाला था, इसलियें मैं बादमें फोन करने का सोच लिया। दो दिन मैं उससे  फोन पर  संपर्क करना चाहा लेकिन फिर भी संपर्क नहीं हो सका। जब मैं लौट कर आया तो उसका फोन आया सॉरी यार मेरा फोन चोरी हो गया और तेरा नंबर भी उसी फोन में था, इस लिय  फोन नहीं कर सका। मैंने गुस्से में कहा मुझे पता नहीं था की तू इतना बद्दल जाएगा। यह कहकर मैंने फोन काट दिया।

      अगर आपको कोई ऐसा कहता हैं कीअब तू बदल गया हैं। मतलब यह हैं की,वो इंसान आपको चाहता हैं, या वो आपसे कुछ काम करवाना चाहता हैं। क्यूंकि अक्सर चाहने वालों का ही दिल टूटता हैं, और वहीँ इंसान जो आपसे रूठता हैं। एक बात और हैं, चाहत एकतरफा भी हो सकती हैं।

रविवार, 15 जुलाई 2012

मुंबई की भाषा

मुबई में एक नया आया हुआ युवक एक टपरीवाले को पूछता हैं।


" भैया यहाँ  से दादर जाने के लिए कौनसी बस मिलेगी?"
"मुंबई में नया आयेला हैं क्या? लगता हैं गाँववाला हैं।"
"ये भैया  गाँववाला किसे कहता हैं ? मैं दिल्ली से आया हूँ।"
"देखो यहाँ दिल्ली से हो या मद्रास से, नये आदमी को यहाँ  गाँववाला ही  कहते हैं, यह मुंबई की भाषा हैं।"
" भैया ऐसा क्यूँ?" और आप ने कैसे पहचान लिया की मैं बाहर का हूँ ?"
'देख यार पहली बात तो यह हैं की तू किसी को भी भैया कहकर बुलाना बंद कर।"
" भैया ही  बोला ना, गाली तो नहीं दी ना।" 
"अरे यार यहाँ  भैयाका  मतलब गाली ही तो हैं।" 
"मैं समझा नहीं, कौन से भाषामें?"
"अरे बाबा मुंबई की भाषा में, देख मैं तुझे समझाता हूँ। अगर कोई आदमी युपी या एमपी से  हो जिसे तुम भैया  कहेगा तो मारने दौड़ेगा,क्यूँ की यह उन्ही के लियें गाली हैं। समझो वो अगर युपि का नहीं हैं, तो उसे और ज्यादा घुस्सा आयेगा,क्यूँ की  भैया शब्द  को बर्दाश्त नहीं करेगा।देख यहाँ साला बोल,बेवडा बोल या चमड़ीचोर  बोल खूब चलेगा, लेकिन किसीकोभी  भैया मत बोल। ठिक इसी तरह यहाँ मराठी को घाटी और मद्रासी को अन्ना मत कहना। तुम्हें पता हैं सबसे बुरा तो मुझे लगा, जब मैं  भैया शब्द को सूना, अब समझ गया होगा की मैं कहाँसे हूँ। यह मुंबई की भाषा हैं, अगर यहाँ रहना हैं तो यह सीखना जरूरी हैं।" 



शनिवार, 14 जुलाई 2012

बाइक और कार



      एक  युवक, स्टॉप पे खड़ी युवती को अपनी बाइक पे  लिफ्ट   ऑफर करने वाला ही था,  उतने में और एक युवक कार में आता हैं और वो उस युवती  लिफ्ट ऑफर करता  तो युवती मान जाती हैं। 

फिर बाइक वाला युवक दिमाग  पर जोर लगाकर सोचने लगता हैं।







इसके पास कार हैं
इससे कैसे खेलूं मैं
इसकी कैसीं लेलूं मैं

            फिर बाइक वाले युवक ने उसी स्टॉप पे खड़ी एक वृद्ध महिला को लिफ्ट ऑफर करता हैं। जब वो वृद्ध महिला बाइक पे जाने से हिचकिचाती हैं। उसी पर वहाँ  खड़ी युवती कह देती हैं की "कोई बात नहीं माजी आप कार में चले जाना मैं बाइक पे चली जाती हूँ ।"



               मेरी बेटी, जो छटी कक्षा में पढ़ती हैं उसने जब यह विज्ञापन देखा तो उसने झट से कहा क्या पागल हैं। मैं समझा नहीं तो उसने विस्तार कहा की कार में चार लोग जा सकते हैं ना, फिर माँजी के साथ उस युवती को भी लिफ्ट मिल सकती थी। कभी कभी छोटी छोटी बातें भी हम समझ नहीं पाते।








नवाब दिल...





जब मैं मुंबई से बंगलोर शिफ्ट हुआ था, तब मैंने  नवाब बिल्डिंग  में  वन बीएचके का मकान  किरायें पर लिया था। हमारे मकान मालिक का नाम नवाब था। जब मैं  घर में शिफ्ट हुआ तो कुछ दिन बहुत ही अच्छा लगा। कुछ दिनों  के बाद नवाब साहब हर दो तीन दिन में एक बार सौ या पचास रु  मांगा करते थे । हमारे नवाब साहब की अदा ऐसी थी  की, उधर सूरज ढला और  नवाब का  काम शुरू, साथ में एक दारू की  बोतल और गणेश बीडी का बण्डल लेकर उन्ही के घर के हॉल में बैठ जाते थे। कभी कभी जब मैं अपने घर की तरफ जा रहा होता तो मुझे बुलकर बीडी पिने का ऑफर जरुर करते। मैं भी कभी कभी  गाँव की यादों में गणेश बीडी का चुसका लेता था। हमारे नवाब साहब जब भी बोतल खोल बैठ जाते, तो उनकी बीवी से बहुत जोर जोर से बहस  होती थी। कभी यह बहस  झगड़े में तब्दील हो जाती,और मामला हाथापाई  पर आ जाता। एक दिन सुबह नवाब साहब बीडी का चुसका लेते हुए हॉल बैठे हुए थे।माथे  पर चोट का  निशाँ था। जब मैंने पूछा तो उन्होंने कहा, आपको तो मालूम ही हैं, की यह मेरा जोरू के साथ रोज का झगड़ा हैं, उसीमें कुछ लगा होगा। नवाब  साहब का स्टाइल यही था की  किसी ना किसी से उधार मांगकर  हो या कुछ भी हो लेकिन पीना जरुरी था।  उधार नहीं देता  तो खैर नहीं,  घर खाली  करने की धमकी देना नहीं भूलते।


        शादी के बाद मैं घर बदलने का  सोच ही रहा था। एक दिन सुबह नवाब साहब से कह दिया। मैं घर खाली करने वाला हूँ। फिर उसने कहा, अडवांस की जमा राशी  दुसरा किरायदार आने के बाद ही दे दूंगा। मैंने कहा मुझे अभी चाहियें क्यूँ की मुझे दुसरे घर में भी अडवांस देना हैं। लेकीन  उसने कहा नहीं दूंगा। मैंने  घर बदलने का  फैसला ले चुका था। अब अडवांस की राशी के लिए रुकना संभव नहीं था। 

          कुछ ही दिनों में मैंने  घर चेंज किया। एक महीना बीत चुका था लेकिन  नवाब साहब ने अडवांस के रूपये लौटाए नहीं यह सोचते सोचते घर में बैठा ही था की डोर बेल बजी। जैसे ही मैंने  दरवाजा खोला और देखा तो द्वार पर नवाब साहब थे।जैसा की सैतान का  नाम लिया और सैतान हाजिर। मैं मन ही मन सोचता था की साला  बेवडा यहाँ भी आ गया  भिक मांगने के लियें। मैने उसे घर में बुलाया और पूछा कैसे  क्या आना हुआ ? और आपको इस घर का पता कैसा चला? नवाब साहबने  मुस्कुराते  हुए कहा की  पचास रू मिलते तो अच्छा होता। मैं थोड़ा परेशान हुआ तो उसने कहा, परेशां होने की जरुरत नहीं, मैं  अडवांस की राशी लौटाने  आया हूँ। मुझे पल भर झूट ही लगा फिर उसने अपने जेब में से रु निकलकर मेरे हाथ में थमाते हुए कहा गिन लो। 

        कभी कभी हम कुछ लोगों को समज ही  नहीं पाते क्यूँ की जो जैसे दिखतें हैं वैसें होते नहीं। सच में वो दिल का नवाब था।  क्यूँकी बहुतसे  लोग ऐसे होते हैं की, जरुरत पड़ने  पर उधार तो लेते हैं लेकिन चुकाना भूल  जाते हैं।