क्या भारत में न्याय मिलना इतना आसान हो गया हैं ? क्या यह न्यायपालिका अमीरों के लिए तो काम नहीं कर रही हैं? जब सल्लू मियाँ जेल से छूटे और अम्मा को बेल मिलने का जो वाकया हमारे अदालतों ने पेश किया हैं, वो हमें इस शक की वोर ले जाता हैं की न्याय सिर्फ अमीरों को ही मिलता हैं।
जब अम्मा के केस में सरकारी वकील को अपना पक्ष रखने नही दिया गया, ऐसा सरकारी वकील का कहना हैं। जब निचले अदालत में वही केस में कैसे सजा के पात्र बने और वही ऊपरी अदालत ने उन्हें छोड़ दिया। आय से अधिक सम्पति रखना भी गुन्हा हैं। लोग यहाँ उन्ही लोगों को सरपर बिठा रखते हैं, और उन्हें भगवान का दर्जा देते हैं।
ठीक हैं सल्लू मियाँ बदल गएँ हैं, अब वो अच्छे इंसान बन गए हैं। जो लोग इस हादसे के शिकार हुए थे क्या वो बुरे इंसान थे? क्या उन्हें इन्साफ नहीं चाहिए था। ठीक हैं सल्लू मियाँ एक फ़िल्मी हस्ती हैं ना की भगवान। लेकिन कुछ लोग कलाकार को भी भगवान का दर्जा देते हैं।
अब बात पते की यह हैं की दोनों भी फ़िल्मी हस्तियाँ हैं एक पहले फिल्मो में काम कर चुकी हैं, और एक अभी भी कर रहें हैं।