शुक्रवार, 31 दिसंबर 2021

२०२२ का साल आपको शुभ और मंगलमय हो....


          जीवन के सफर में चलते चलते पता ही नहीं चलता की समय हमें कैसे निगल रहा हैं।  हमें लगता हैं की हम समय के साथ बड़े हो रहे हैं।  लेकिन सत्त्य यह हैं की हम छोटे होते जा रहे हैं।  जैसा की एक और साल हमारे जीवन का कम हो गया, यानी की हम मृत्यु के और करीब हो गएँ हैं, यही जीवन का सत्य हैं। 

               एक एक पल, पल से मिनट, मिनिटों से घंटे, घंटो से दिन, दिनों से हप्ते, हप्तों से महीने, महीनो से साल, सालों से दशक, दशकों से शतक, शतकों से सहस्त्र, और अनेक सहस्र वर्षों से युग।  इस समय के हिसाब की कोई समय सिमा ही नहीं हैं।  

          समय देखने के लिए घडी होती है, दिन और महीने देखने के लिए कैलेंडर और हर साल में कैलेंडर बदल दिया जाता हैं।  नए साल का जश्न मनाते हैं।  क्या यह जश्न मृत्यु पे नजदीक आने का तो नहीं हैं ? लेकिन एक सवाल  क्या हम अंजाने में मृत्यु का जश्न तो नहीं मना रहें हैं?  जी नहीं, यह तो मृत्यु  का जश्न नहीं हैं, क्यों की हमें मृत्यु का समय पता नहीं होता।  

          हम जन्म का स्वागत तो नौ महीने से करते हैं।  लेकिन हमारी परम्परा  नहीं हैं के मृत्यु का भी स्वागत हो।   चलो जो भी हो हम नए साल का स्वागत करते हैं और सभीको नए साल की शुभकामनएं , २०२२ का साल आपको शुभ  और मंगलमय हो, यही भगवान से  प्रार्थना करतें हैं। 

शनिवार, 25 दिसंबर 2021

काला अक्षर भैंस बराबर.....

       


 क्लास रूम घुसते ही सभी छात्र गपशप में मग्न थे।  उतने में हिंदी के अध्यापक कक्षा में आएं, और चॉक से बोर्ड पर लिखने लगे। कहावतें--- लिखते लिखते कहने लगे  " बच्चों आज हम हिंदी की कुछ प्रचलित कहावते के बारें में सवांद करेंगे। बोर्ड पे लिखते लिखते बोलें  "काला अक्षर भैंस बराबर इसका मतलब बताओ " ?

सुरेश ( एक विधार्थी ) कहने लगा, सर आपने तो सफ़ेद अक्षर लिखा हैं, वो काला कैसा होआ गया ? 
शिक्षक ने सुरेश को बैठने को कहकर कहा " अरे यह तो मैंने बोर्ड पर लिखा हैं, काले बोर्ड पर सफेद चॉक से लिखा जाता हैं। "
सुरेश ने उठते हुए कहा  "लेकिन सर सफ़ेद अक्षर भैंस बराबर लिखना चाहियें था।"

टीचर ने कहा  "तुम्हारी नोट बुक क्या लिखा हैं ? उसमे काले अक्षर में लिखा नहीं हैं ? " 

"नहीं सर उसपे नीले अक्षर में लिखा हैं। क्या हम यह नहीं कह सकते की नीला अक्षर भैंस बराबर" सुरेश ने जवाब दिया।
  
टीचर ने  माथे पर बल लेकर कहा।  " समझ में नहीं आता यह कहावत हैं और इसका सही सही मतलब कौन बता सकता हैं। हाथ उप्पर करें। "

रमेश एक और छात्र ने कहा  "  सर भैंस भी काली होती हैं इसलिए काला अक्षर भैंस बराबर।  लेकिन सर सफेद अक्षर गाय  बराबर क्यों नहीं कह सकते ? क्यूँ की गाय सफ़ेद भी हो सकती हैं जैसे सफेद अक्षर की तरह। "

"चुप  रहो " टीचर ने गुस्से से कहा। और इस कहावत अर्थ बताने लगे।  

 काला अक्षर भैंस बराबर ' इस का क्या अर्थ होता हैं  की  इस मुहावरे का शाब्दिक अर्थ यह होता हैं की  'अनपढ़' होना है, ऐसा व्यक्ति जो मानसिक रूप से स्वयं को अशिक्षित मान ले एवं कोई भी शब्द पढ़ने या समझने में असमर्थ हो , उसके लिये काला अक्षर भैंस बराबर।"

"अगले क्लास में हम दूसरा मुहावरा का विवरण करेंगे " यह कहकर सर क्लास संपन कर निकल गए।