रविवार, 23 सितंबर 2012

पैसे पेड़ पर नही उगतें...



बहार सब्जी वाले के साथ ...

मैडम - सब्जी बेच रहें हो या सोना?
सब्जीवाला - सोना नहीं सब्जी ही बेच रहाँ  हूँ मैडम,क्यूँ की सोना खाकर आदमी जी नहीं सकता।
मैडम - इतना दाम!! पैसे क्या पेड़ पर उगते हैं ?
सब्जीवाला - मैडम क्या बात करती हो, अगर पैसे पेड़ पर उगते तो मैं यह सब्जी क्यूँ बेचता?
मैडम -  ठीक टोमाटो,आलू और मटर दोसौ दोसौ ग्राम दे देना।
सब्जीवाला - मैडम सब्जी खरीद रही हो या सोना।
मैडम -क्यूँ की सोना खाकर आदमी जी नहीं सकता।

घरमें ...

पत्नी- देखोजी महंगाई बहुत बढ़ गई हैं, इस लियें महीने का बज़ट बढ़ाना पडेगा।
पति -पैसे क्या पेड़ पर उगते हैं? जब चाहे तब बज़ट बढाती हों ? क्या करें? सैलरी बढती ही नहीं।
पत्नी - मुझे कुछ पता नहीं, इसके अलावां स्कूल ने टेम्पो की फी बढ़ा दी गयी हैं।
पति - मैं क्या कर सकता हूँ ?
बेटा - पप्पा ओफीस से आते वक्त पैसों का पेड़ लेकर आना, घरमें लगवा देंगे।
पप्पा - बेटें! पैसों का पेड़ नहीं होता।
बेटा - लेकिन सब लोग क्यूँ पूछ रहें हैं की,  "पैसें क्या पेड़ पर उगते हैं?"

ऑफिस में ...

बॉस - क्या हैं यह सब ?
मेनेजर- सर यह कन्वैअन्स का प्रोपोज़ल हैं।
बॉस - क्यूँ ? इतना जादा!!
मेनेजर - सर अभी, डीज़ल की कीमत बढ़ने के बाद बस का किरया बढ़ गया हैं, इस लिए ?
बॉस - पैसे क्या पेड़ पर उगतें हैं?  सॉरी यह हम बढ़ा नहीं सकतें।

देश में ...

हमने डीजल के दाम बढ़ा दिएं हैं, यह एक सही फैसला हैं।
हमने एफ डी  आइ को अनुमति दी, ये भी सही फैसला।
हमने एल पी जी के दाम बढ़ा दिएं,ये भी सही फैसला हैं।
हमने सभी सही फैसलें लियें हैं, क्यूँ की पैसे पेड़ पर नही उगतें।

मंगलवार, 4 सितंबर 2012

नितीश का मुस्लिम कार्ड


       (फोटो इन्टरनेट गूगल से) 

                  आज कल देश  में जो कुछ भी हो रहा हैं, कुछ भी  ठीक नहीं। इससे एक बात सामने आती हैं ये सब नेता लोग वोटों के लिए अपना ज़मीर बेच देते हैं। मुंबई में आज़ाद मैदान में दहशत मचानेवाला एक आतंकी बिहारी मुस्लिम निकलता हैं, कल मुंबई का निकलेगा,क्यूँ की इन लोगों के लिय कोई देश, या कोई प्रान्त नहीं होता। इसका मतलब यह कतई नहीं होता हर भारतीय मुस्लिम आतंकवादी हैं। लेकिन एक और बात इससे सामने आती हैं की उसका जो भी समर्थन करेगा वो भी आतंकी ही हैं, और रहेगा। क्या उस आतंकवादी को मुंबई पोलिस बिहार जाकर पकड़ नहीं सकती? जिस देशद्रोही ने जो आज़ाद मैदान में हमारे "अमर जवान"  स्मारक को लात  मारकर तोड़ दिया था,अब वक्त आ गया हैं की हमें भी ठीक उसी तरह उसें लात मारकर  देश से बहार निकलना चाहिए।

              क्या नितीश कुमार यह बयान जो की मुंबई पुलिस को उस आतंकी को पकड़ने के लिए अनुमति लेनी पड़ेगी, ठीक हैं, मुम्बई पुलिस अनुमति लेंगे लेकीन क्या वह आतंकी नितीश कुमार के अनुमति से  मुंबई में आतंक का तांडव मचा दिया था। इसका मतलब क्या हैं? क्या नीतीशजी उस आतंकवादी के समर्थन में तो नहीं बोल रहें हैं? समर्थन का मतलब क्या हैं? किस लिए? इसकी वजह क्या हैं? इसका एक ही मतलब मुस्लिम वोट बैंक।

            नितीश  इतने समझदार हैं की, मुस्लिम वोट बैंक खोने नहीं देंगे, चाहें मोदी का विरोध करना हो या, देश के अस्मिता पर लात मरनेवाला आतंकी हो।  जो की  खुदको  प्रधानमंत्री पद का दावेदार समझते हैं। बात तो सही हैं, देश का प्रधानमंत्री इसी तरह का होना चाहियें, अगर झूट लगता हैं तो, इतिहास देख लीजिएगा। क्यूँ यहाँ  धर्म-निरपेक्ष का नक़ाब पहनना  जरूरी हैं।

          हम लोग मीडिया की बातोंमें आकर प्रांतीय वाद-विवाद में फस जातें हैं? इसमें सिर्फ मीडिया और नेतालोगों की रोज़ी रोटी चलती हैं। जो आतंकी  हमारें देश के सन्मान को लात मरता हैं। उसे सजा जरुर मिलनी चाहियें, वो चाहें मुंबई का हो या बिहार का हो, हमारा लक्ष एक ही होना चाहियं की, सिर्फ भारत देश।