गुरुवार, 14 मई 2015

सल्लू की छूटी जेल, अम्मा को हुई बेल ...

 
         क्या भारत में न्याय  मिलना इतना आसान हो गया हैं ? क्या यह न्यायपालिका अमीरों के लिए तो काम नहीं कर रही हैं? जब सल्लू मियाँ  जेल से छूटे और अम्मा को बेल मिलने का जो वाकया हमारे अदालतों ने पेश किया हैं, वो हमें इस शक की वोर ले जाता हैं की न्याय सिर्फ अमीरों को ही मिलता हैं। 

  जब अम्मा के केस में सरकारी वकील को अपना पक्ष रखने  नही दिया गया, ऐसा सरकारी वकील का कहना हैं।  जब निचले अदालत में वही केस में कैसे सजा के पात्र बने और वही ऊपरी अदालत ने उन्हें छोड़ दिया। आय से अधिक सम्पति रखना भी गुन्हा हैं।  लोग यहाँ उन्ही लोगों को सरपर  बिठा रखते हैं, और उन्हें भगवान  का दर्जा देते हैं।  
 
           ठीक हैं सल्लू मियाँ  बदल गएँ हैं, अब वो अच्छे इंसान बन गए हैं। जो लोग इस हादसे के शिकार हुए थे क्या वो बुरे इंसान थे? क्या उन्हें इन्साफ नहीं चाहिए था।  ठीक हैं सल्लू मियाँ एक फ़िल्मी हस्ती हैं ना की भगवान। लेकिन कुछ लोग कलाकार को भी भगवान का दर्जा  देते हैं। 

          अब बात पते की यह हैं की दोनों भी फ़िल्मी हस्तियाँ हैं एक पहले फिल्मो में काम कर चुकी हैं, और एक अभी भी कर रहें हैं।  

शनिवार, 10 जनवरी 2015

जरा शर्म करो 'आप' सभी...

जरा शर्म करो 'आप' सभी 
जुबान बंद होगी भी कभी 

जुबांसे  जब ये आग उगलता 
मीडिया को कुछ नहीं दीखता 
जागो  कदम उठाओ अभी 
जुबान बंद होगी भी कभी 

इसका कोई नहीं 'साक्षी'
मीडिया का तो  एक ही  साक्षी 
'साक्षी' का पीछा छोड़ो अभी
जुबान बंद होगी भी कभी  

मीडिया वालों ज़रा जागो 
जरा इसके पीछे भी भागो
हिम्मतसे दिखाओ इसे अभी  
जुबान बंद होगी भी कभी
जरा शर्म करो 'आप' सभी 
जुबान बंद होगी भी कभी

मंगलवार, 6 जनवरी 2015

सुनंदा पुष्कर की मौत की कहानी ...

           
     
 दिल्ली पुलिस ने सुनंदा पुष्कर की हत्या के लिए अज्ञात व्यक्ति पे प्राथमिकी दर्ज की हैं। अब यह सवाल उठता हैं की, प्राथमिकी अज्ञात व्यक्ति के खिलाप क्यों? क्या यह सोची समझी साजिश  तो नहीं?
पुरे दुनिया को पता हैं की सुनंदा की मौत खुदखुशी नहीं बल्कि एक हत्या थी। लेकिन कानून को तो सबूत चाहियें। 

                 थोड़े दिनोंमें पता चल जायेगा की उसका हत्यारा कौन हैं? कहाँ हैं? कहते हैं की कानून के हाथ बहुत ही लम्बे होते हैं । इसी लम्बे हाथों  से उस कातिल के गलें में फास लगेगी या नहीं यह तो वक्त ही बताएगा। 


 रेडियोएक्टिव पोलोनियम-210 यह एक रेडियोएक्टिव  केमिकल हैं।  एम्स रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सुनंदा पुष्कर  की मौत पोलोनियम-210 से हुई। इसका इस्तेमाल औद्योगिक कार्यों में होता है। इसकी खोज मैडम क्यूरी एंड पेरी क्यूरी दपंती ने किया था न्यूक्लियर रिएक्टर्स में यूरेनियम की केमिकल प्रोसेसिंग से पोलोनियम बनता है। 138 दिन में यह पदार्थ आधा रह जाता है। इस केमिकल का अनालिसिस भारत में  नहीं हो सकता।

पहले यह क्यों बताया  गया की मौत ओवर डोस से हुयी ?
पहले यह क्यों बताया गया की पेट में दवा मिली हैं ?
इसके लियें कौन जिम्मेदार हैं? क्या हमारा सिस्टम इतना करप्ट हो चुका हैं की, हम उसे ठीक  ही नहीं कर सकते ?