सोमवार, 16 अक्तूबर 2023

लाइट चोरी : एक समस्या ...

       

    हर रोज की तरह मैं  बैंगलोर के बेनगनहल्ली 'लेक गार्डन'  में घूमने जाता था, आज भी सबरे ५:३० के आसपास 'लेक गार्डन' में गया लेकिन गार्डन का 'मेन गेट' बंद था।  

तभी एक आदमी वहां बैठा था, उसने मुझेसे कहा। " मॉर्निंग वाक के लिए आये हो क्या ?"

"हाँ मैं 'मॉर्निंग वाक' के लिए आया हूं।" मैंने जवाब दिया। 

उसने 'गेट' का 'लॉक' ओपन किया औरमैं अंदर प्रवेश करते समय उससे पूछा। 

"गार्डन को 'लॉक' क्यों लगाते हो ?"

"साहब यहां के 'लाइट्स' चोरी हो जाते हैं।  और कुछ 'लाइट्स' चोरी हो गई  हैं।"

मैंने कहा "उस तरफ से तो पूरा खाली हैं, कोई भी आ सकता हैं।"

"उधर मेट्रो का 'ब्लू लाइन' का  काम चल रहा हैं, इसलिए उस तरफ से खुला हैं।"  उसने जवाब दिया। 

         मैं मन ही मन में सोचने लगा, इतना अच्छा 'लेक गार्डन' बनाया हैं।  तालाब के 'साइड' में अच्छे 'वाकिंग पाथ', 'टॉयलेट रूम', एक कोने कसरत करने के 'इक्विपमेंट्स', 'सिक्योरिटी रूम', 'एलइडी लाइट्स' के खम्बे और  लोगो को बैठने के लिए 'बेंचेस'।  यानि सभी सुविधा से उपलब्ध। 

          कई देश ऐसे  हैं, जहां  किसान अपने  अपनी सब्जिया  सड़क किनारे एक 'बॉक्स' में रख कर जाते हैं, और उसके साथ  एक बॉक्स जिसको जो लेना हैं वो ले कर उसकी की कीमत का भुगतान करते हैं। बिना कोई देख रेख। अगर भारत में ऐसी  सेवाएं रखे तो सब्जी के साथ साथ ठेला और 'बॉक्स'  सब कुछ चोरी हो जाता हैं। 

         जिस देश में 'वंदे भारत ट्रैन' पे पथराव कर सकते हैं, जिस देश के ट्रैन में 'टॉयलेट' रूम में पानी का 'मग' 'चैन'  से बंधा हो, जिस देश में  दिल्ली जैसे शहर में सड़क के किनारे रखे गमले घर लेके जाते हैं,  यह भी एक भारत हैं।  इसकी वजह क्या हैं?  इसकी वजह सिर्फ शिक्षा नहीं इसकी वजह हैं राष्ट्र प्रेम। अगर देश हर एक नागरिक अपने देश को अपना घर समझ कर प्रेम करने लगेगा तभी यह मुमकिन हैं। अगर शीक्षा ही इसका कारण होता तो सुशिक्षित लोग दूसरे देश से रुपए ले कर बिकी हुई पत्रकारिता नहीं करते। 

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