एक छोटे से गाँव में गोपाल और राजू नाम के दो घनिष्ठ मित्र रहते थे। दोनों बचपन से साथ बड़े हुए थे और एक-दूसरे पर बहुत भरोसा करते थे। जहाँ एक जाता, दूसरा उसके पीछे-पीछे होता। उनकी दोस्ती पूरे गाँव में मिसाल थी।
एक दिन दोनों ने सोचा कि जंगल की सैर पर चला जाए। उन्होंने तय किया कि वे पहाड़ियों के पार वाले बड़े जंगल में जाएंगे। वहाँ की कहानियाँ उन्होंने बहुत सुनी थीं—खूबसूरत झरने, ऊँचे पेड़, और कई जानवर। दोनों बड़े उत्साह से जंगल की ओर निकल पड़े।
जंगल में कुछ दूर चलने के बाद वे मस्ती में गुनगुनाते और बातें करते जा रहे थे, तभी अचानक एक भालू उनके सामने आ गया। भालू को देखकर दोनों घबरा गए। उन्हें समझ नहीं आया कि अब क्या करें।
गोपाल को बचपन से पेड़ पर चढ़ने की आदत थी, इसलिए वह फुर्ती से पास के एक पेड़ पर चढ़ गया। लेकिन राजू को पेड़ पर चढ़ना नहीं आता था। उसने मदद के लिए गोपाल की ओर देखा, लेकिन गोपाल ने डर के मारे उसकी कोई मदद नहीं की।
राजू ने जल्दी से अपने दिमाग का इस्तेमाल किया और उसे याद आया कि किसी ने कहा था, "भालू मरे हुए इंसानों को नुकसान नहीं पहुँचाते।" वह तुरंत जमीन पर लेट गया और साँस रोककर मरने का नाटक करने लगा। भालू उसके पास आया, उसे सूँघा, और फिर वहाँ से चला गया, यह सोचकर कि राजू मर चुका है।
भालू के जाते ही गोपाल पेड़ से उतर आया और हँसते हुए बोला, "भालू तुम्हारे कान में क्या कह रहा था?"
राजू ने गंभीरता से कहा, "भालू ने मुझसे कहा कि सच्चे दोस्त वही होते हैं जो मुसीबत के समय साथ न छोड़ें।"
यह सुनकर गोपाल को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने राजू से माफी माँगी और वादा किया कि आगे से वह उसे कभी अकेला नहीं छोड़ेगा। राजू ने उसे माफ कर दिया, लेकिन उसने यह सबक भी सीख लिया कि सच्ची दोस्ती का मतलब केवल अच्छे समय में साथ रहना नहीं, बल्कि मुश्किल घड़ी में भी एक-दूसरे का साथ देना है।
इस घटना के बाद उनकी दोस्ती पहले से भी मजबूत हो गई, और अब दोनों न केवल साथ रहते थे, बल्कि एक-दूसरे की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते थे।
सीख: सच्ची दोस्ती की पहचान मुसीबत के समय होती है।
- Chat GPT द्वारा प्रस्तुत