पहले वन डे में ऑस्ट्रेलिया का स्कोर १८८ रन पे आल आउट होने के बाद इंडिया ने हारते हारते १९१/५ से मैच जीत लिया था। दूसरे वन डे में भारत ने अपने हथियार दाल दिए। २६ वोहरों में केवल ११७ रन बनाकर आउट हो गयी। अब ऑस्ट्रेलिया के सामने ११८ रन का लक्ष रखा। केवल ११ वोहरों में १२१ रनो की पारी बिना कोई विकेट गवाएं जीत गयी।
दूसरे मैच के बाद भारतीय बल्लेबाजोसे लगा था की भारतीय टीम तीसरे वन डे में अपना डंका बजा देगी। लेकिन हुआ उल्टा ही, ऑस्ट्रलिया टी. हेड और एम् मार्श बतौर मैच ओपन करने आये ६८/१ टी हेड हार्दिक पंड्या ने आउट कर के मैच में थोड़ी जान ला दी। ७४ / २ विकेट, ८५ /३ विकेट, १२५/ ४, १३८/५, १९६/६ २०३/ ७, २४५/८ २४७/९ और २६९/१०
सातवे विकेट के बाद ४२ रनो का बड़ी साझीदारी मिली यह भी एक मैच का टर्निंग पॉइंट रहा। और दसवे विकेट के लिए २२ रनो की साझीदारी ये भी बहुत ज्यादा थी। भारत के सामने २७० रन का छोटा सा लक्ष रखा।
अगर रोहित शर्मा ने दो डीआरएस लिए होते तो मैच का हाल कुछ और ही होता। इससे यह दर्शाता हैं आपके पास वो किल्लर इंस्टिंक्ट नहीं है जो की धोनी के पास था। विराट कोहली ने सर्वाधिक ५४ रन बनाये वो भी ७२ बॉल में। हार्दिक पंड्या ने ४० बॉल में ४० रन जो दूसरा सर्वाधिक स्कोर था , मैच तो कोहली ने ही हरा दी थी ७२ बॉल में ५४ रन बनाकर। एक के बाद एक सभी भारतीय विकेट गिरते चले गए २४८ /१० वो भी ४९. १ वोहरों में।
क्या भारतीय टीम किसी परेशानी का सामना कर रही हैं? विराट का बल्ला चल नहीं रहा फिर भी उसे मैच में जगह मिली हैं। रोहित के पास वो किल्लर इंस्टिंक्ट नहीं हैं जो की मैच जीतना ही हैं। क्या हम यही टीम लेकर वो डी आइ वर्ल्ड कप में उतरने वाले हैं। क्या ऐसे जीतोगे वर्ल्ड कप ???
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