लघुलेख
छोटी छोटी बातें...
शनिवार, 26 अक्टूबर 2024
दोस्ती का असली मतल.,..
सोमवार, 16 अक्टूबर 2023
लाइट चोरी : एक समस्या ...
हर रोज की तरह मैं बैंगलोर के बेनगनहल्ली 'लेक गार्डन' में घूमने जाता था, आज भी सबरे ५:३० के आसपास 'लेक गार्डन' में गया लेकिन गार्डन का 'मेन गेट' बंद था।
तभी एक आदमी वहां बैठा था, उसने मुझेसे कहा। " मॉर्निंग वाक के लिए आये हो क्या ?"
"हाँ मैं 'मॉर्निंग वाक' के लिए आया हूं।" मैंने जवाब दिया।
उसने 'गेट' का 'लॉक' ओपन किया औरमैं अंदर प्रवेश करते समय उससे पूछा।
"गार्डन को 'लॉक' क्यों लगाते हो ?"
"साहब यहां के 'लाइट्स' चोरी हो जाते हैं। और कुछ 'लाइट्स' चोरी हो गई हैं।"
मैंने कहा "उस तरफ से तो पूरा खाली हैं, कोई भी आ सकता हैं।"
"उधर मेट्रो का 'ब्लू लाइन' का काम चल रहा हैं, इसलिए उस तरफ से खुला हैं।" उसने जवाब दिया।
मैं मन ही मन में सोचने लगा, इतना अच्छा 'लेक गार्डन' बनाया हैं। तालाब के 'साइड' में अच्छे 'वाकिंग पाथ', 'टॉयलेट रूम', एक कोने कसरत करने के 'इक्विपमेंट्स', 'सिक्योरिटी रूम', 'एलइडी लाइट्स' के खम्बे और लोगो को बैठने के लिए 'बेंचेस'। यानि सभी सुविधा से उपलब्ध।
कई देश ऐसे हैं, जहां किसान अपने अपनी सब्जिया सड़क किनारे एक 'बॉक्स' में रख कर जाते हैं, और उसके साथ एक बॉक्स जिसको जो लेना हैं वो ले कर उसकी की कीमत का भुगतान करते हैं। बिना कोई देख रेख। अगर भारत में ऐसी सेवाएं रखे तो सब्जी के साथ साथ ठेला और 'बॉक्स' सब कुछ चोरी हो जाता हैं।
जिस देश में 'वंदे भारत ट्रैन' पे पथराव कर सकते हैं, जिस देश के ट्रैन में 'टॉयलेट' रूम में पानी का 'मग' 'चैन' से बंधा हो, जिस देश में दिल्ली जैसे शहर में सड़क के किनारे रखे गमले घर लेके जाते हैं, यह भी एक भारत हैं। इसकी वजह क्या हैं? इसकी वजह सिर्फ शिक्षा नहीं इसकी वजह हैं राष्ट्र प्रेम। अगर देश हर एक नागरिक अपने देश को अपना घर समझ कर प्रेम करने लगेगा तभी यह मुमकिन हैं। अगर शीक्षा ही इसका कारण होता तो सुशिक्षित लोग दूसरे देश से रुपए ले कर बिकी हुई पत्रकारिता नहीं करते।
सोमवार, 14 अगस्त 2023
Google bard AI द्वारा लिखित कहानी....
एक बार की बात है, एक छोटी सी लड़की थी जिसका नाम रीटा था. वह एक छोटी सी कस्बे में रहती थी, और वह बहुत ही अकेली थी. उसके कोई दोस्त नहीं थे, और उसकी माता-पिता हमेशा काम में व्यस्त रहते थे. एक दिन, रीटा पार्क में टहल रही थी जब उसे एक खरगोश मिला. खरगोश बहुत छोटा और प्यारा था, और रीटा उसे देखकर बहुत खुश हुई. उसने खरगोश को घर ले आई, और उसने उसका नाम बाज़ी रखा. बाज़ी और रीटा बहुत अच्छे दोस्त बन गए. वे हर समय साथ खेलते थे, और रीटा कभी भी अकेला नहीं महसूस करती थी. एक दिन, रीटा और बाज़ी पार्क में खेल रहे थे जब उन्होंने कुछ बच्चों को एक खरगोश का पीछा करते हुए देखा. बच्चे बाज़ी को पकड़ना चाहते थे, और रीटा बहुत डरी हुई थी. उसने बाज़ी को बचाने के लिए जो कुछ भी किया, वह किया, लेकिन बच्चे बहुत मजबूत थे. वे बाज़ी को पकड़ने में सफल रहे, और रीटा को बहुत दुख हुआ. अगले दिन, रीटा बाज़ी को वापस पाने के लिए पार्क गया. उसने बच्चों को बाज़ी को एक पेड़ पर बांधते हुए देखा. रीटा ने बच्चों को बाज़ी को छोड़ने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने मना कर दिया. उन्होंने रीटा को धमकी दी कि अगर वह नहीं भाग गई तो वे उसे चोट पहुंचा देंगे. रीटा बहुत डरी हुई थी, लेकिpkन वह नहीं भागी. उसने बच्चों को बाज़ी को छोड़ने के लिए कहा, और उसने कहा कि वह कभी भी उनके बारे में किसी को नहीं बताएगी. बच्चे आखिरकार मान गए, और उन्होंने बाज़ी को छोड़ दिया. रीटा बहुत खुश थी कि बाज़ी सुरक्षित है. उसने बाज़ी को घर ले आई, और उसने उसे कभी भी अकेला नहीं छोड़ा. बाज़ी और रीटा बहुत अच्छे दोस्त बन गए, और वे हमेशा एक साथ रहे.
From,
Google bard AI
रविवार, 23 जुलाई 2023
ChatGPT द्वारा लिखीत एक कहानी ....
एक बार की बात है, एक गांव में एक छोटे से बच्चे का नाम रमेश था। रमेश एक बहुत ही समझदार और उत्साही बच्चा था। उसके पास हर वक्त कुछ नया सीखने का जुनून था। उसके दिल में बचपन से ही एक सपना था कि वह अपने गांव के लोगों की मदद करेगा और उन्हें खुशियों का साथ देगा।
एक दिन, रमेश ने गांव के प्राकृतिक तालाब के पास एक वृक्ष लगाने का निर्णय लिया। उसने अपने मित्रों के साथ सहायता की और एक वृक्ष को उगाने के लिए काम शुरू किया। वह लगातार दो महीने तक उस वृक्ष की देखभाल करता रहा। वृक्ष के पौधे को पानी देने, उसे सुरक्षित रखने, और किसानों के साथ सहायता करने के लिए वह हर समय तैयार रहता।
धीरे-धीरे वृक्ष बढ़ता गया और उसमें फूल और फल आने लगे। लोगों को इसका उपयोग भोजन और औषधि के लिए करने में बड़ी सहायता मिली। रमेश की मेहनत और ईमानदारी ने उसे बहुत सम्मान कमाया। उसके योगदान ने गांव की खुशियों को दोगुना किया।
एक दिन, रमेश के वृक्ष पर एक सर्कस के कर्मचारियों ने नए परचम लगा रखे थे, जो गांव की यात्रियों को आकर्षित करने के लिए था। सर्कस वालों ने रमेश को वृक्ष की खूबसूरती की प्रशंसा की और उसे वाकई सहायता करने का सामर्थ्य दिखाया।
यह घटना रमेश के लिए एक महत्वपूर्ण सबक था। वह समझ गया कि छोटे कदमों से भी हम लोगों के जीवन में बड़े बदलाव ला सकते हैं। उसने तत्परता और समर्पण से अपने सपने को पूरा किया और गांव वासियों के दिलों में विशेष स्थान बना लिया।
इस छोटी सी कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि हम अपने सपनों को पूरा करने के लिए समर्पण और मेहनत के साथ साथ छोटे कदमों को भी महत्व देने चाहिए। हमारे छोटे कदम हमें अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर करते हैं और हमें सफलता की राह दिखाते हैं।
गुरुवार, 20 जुलाई 2023
पैसा बोलता है....
फोन उठाते ही उधर से आवाज़ गुंजी ।
"हैलो हां मैं तेरा दोस्त बोल रहा हुं, रमेश।" मेरे दोस्त का बड़े अरसे के बाद फ़ोन आया।
"कैसा हैं यार? इतने दिन कहां था?" मैंने जवाब दिया।
"तेरा कैसा चल रहा है ? सब कुछ ठीक ठाक हैं ?" रमेश ने पूछ लिया।
"और तेरा कैसा चल रहा है? बीवी बच्चे सब ठीक हैं ना? "मैंने पूछ लिया।
"सब ठीक है, क्या बोलना यार मेरी जॉब चली गयी हैं। मुझे कुछ रुपये चाहिए थे, ज्यादा नहीं सर सिर्फ पचास हज़ार।" रमेश ने क्षमा का भाव लाते हुए पूछा।
"लगता है सिग्नल बराबर नहीं आ रहा हैं।" मैंने फ़ोन से अपना मुह दूर करते हुए कहा और फ़ोन काट दिया। और उसका नंबर ब्लॉक कर दिया।
इस घटना के बाद मेरे मस्तिष्क में पुरानी यादे तरंगो के भांति मेर मस्तिष्क में गूंजने लगे। जब मेरे दोस्त को जरुरत थी, उसे हर बार मैंने रुपये उधार दिए थे, लेकिन वो लौटाने का नाम ही नहीं ले रहा थे । न सिर्फ उसे मैंने मेरे हर दोस्त की मदद की थी, उसमे से राजेश एक था, वही टाइम पे रुपये लौटा ता था। लेकिन राजेश अभी मेरे से बात नहीं करता, क्यों की मैंने सिर्फ एक बार उसे रुपए देने से मना किया था, वो भी मेरे पास उस समय रुपये नहीं थे। क्यूं की उस समय मेरा रुपया रमेश पास अटका हुआ था।
अब मै दुनिया से एक बात तो सिख लिया था की तुम कितने बार मदद करो, लेकिन किसी वजह से एक बार मदद नही की तो आपकी पूरी मदद व्यर्थ हो जाती है।
शायद रिश्तो में तो इससे बुरी बात होती हैं। उनके बेटी, बेटा और पत्नी सभी लोग संपर्क करना बंद कर देते हैं। यह बात याद रखने की जरुरत हैं की, आप किसी से भी उधार लेते हैं तो अपने बच्चों को या पत्नी को ना बताये तो ही बेहतर होगा, और एक बात, अपने काम आप ही करें। बच्चो से किसी से उधार मंगवाने की कोशिश ना करें। इससे यह होता हैं बच्चे मन एक कल्पना घर करने लगती हैं की समय पे उसने हमारी मदद नहीं की। लगता हैं अब हमारे बच्चे बड़े हो गए हैं, क्यों की अपने बच्चे सिर्फ आपके बारे में सोचते हैं, रिश्तो के बारे में नही।
किसी ने सच हो कहा था पैसा बोलता हैं, बुलवाता हैं और बोलना बंद भी करवाता हैं।
रविवार, 11 जून 2023
वर्ल्ड टेस्ट चैंपियन ऑस्ट्रलिया ने जीता या जितवाया ?

गुरुवार, 23 मार्च 2023
ऐसे जीतोगे "वर्ल्ड कप "?
पहले वन डे में ऑस्ट्रेलिया का स्कोर १८८ रन पे आल आउट होने के बाद इंडिया ने हारते हारते १९१/५ से मैच जीत लिया था। दूसरे वन डे में भारत ने अपने हथियार दाल दिए। २६ वोहरों में केवल ११७ रन बनाकर आउट हो गयी। अब ऑस्ट्रेलिया के सामने ११८ रन का लक्ष रखा। केवल ११ वोहरों में १२१ रनो की पारी बिना कोई विकेट गवाएं जीत गयी।