रविवार, 15 जुलाई 2012

मुंबई की भाषा

मुबई में एक नया आया हुआ युवक एक टपरीवाले को पूछता हैं।


" भैया यहाँ  से दादर जाने के लिए कौनसी बस मिलेगी?"
"मुंबई में नया आयेला हैं क्या? लगता हैं गाँववाला हैं।"
"ये भैया  गाँववाला किसे कहता हैं ? मैं दिल्ली से आया हूँ।"
"देखो यहाँ दिल्ली से हो या मद्रास से, नये आदमी को यहाँ  गाँववाला ही  कहते हैं, यह मुंबई की भाषा हैं।"
" भैया ऐसा क्यूँ?" और आप ने कैसे पहचान लिया की मैं बाहर का हूँ ?"
'देख यार पहली बात तो यह हैं की तू किसी को भी भैया कहकर बुलाना बंद कर।"
" भैया ही  बोला ना, गाली तो नहीं दी ना।" 
"अरे यार यहाँ  भैयाका  मतलब गाली ही तो हैं।" 
"मैं समझा नहीं, कौन से भाषामें?"
"अरे बाबा मुंबई की भाषा में, देख मैं तुझे समझाता हूँ। अगर कोई आदमी युपी या एमपी से  हो जिसे तुम भैया  कहेगा तो मारने दौड़ेगा,क्यूँ की यह उन्ही के लियें गाली हैं। समझो वो अगर युपि का नहीं हैं, तो उसे और ज्यादा घुस्सा आयेगा,क्यूँ की  भैया शब्द  को बर्दाश्त नहीं करेगा।देख यहाँ साला बोल,बेवडा बोल या चमड़ीचोर  बोल खूब चलेगा, लेकिन किसीकोभी  भैया मत बोल। ठिक इसी तरह यहाँ मराठी को घाटी और मद्रासी को अन्ना मत कहना। तुम्हें पता हैं सबसे बुरा तो मुझे लगा, जब मैं  भैया शब्द को सूना, अब समझ गया होगा की मैं कहाँसे हूँ। यह मुंबई की भाषा हैं, अगर यहाँ रहना हैं तो यह सीखना जरूरी हैं।" 



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