"उस हरामी को बोला था, देख रेलवे लाइन क्रास नहीं करना, फिर भी साला बात नहीं माना अब टपक गया ना।" पांडे ने सर पर हाथ रखकर बोला।
"क्यूँ पांडेजी किसके बारें में बोल रहे हो ? वही साला रोहन कट गया ना ट्रेन के निचे, अभी अभी रेलवे पुलिस से फोन आया था,और पूछ रहे थे क्या रोहन इसी कंपनी में काम करता हैं? मैंने पूछा क्या हुआ तो उसने कहा हमें एक लाश मिलीं हैं उसके पास से रेलवे का पास मिला हैं, उसीपे यही नंबर लिखा हुआ था।"
"आगे क्या करना हैं? उसके घर में इन्फोर्म करना होगा।" मैंने कहा।
"नहीं मैं उसे कई बार समझाया था की रेलवे लाइन क्रास मत कर, नहीं तो तेरी मौत की खबर तेरे घरवालों को मुझे ही देनी पड़ेगी।"
"आप उसके घर जाकर बता दीजिएगा, फोन करना ठीक नहीं होगा और उसके घर का पता तो आपको मालूमही हैं।" मैंने कहा।"
थोड़ी देर तक पांडे सोचता रहा और फिर कहा। "इस हकीक़त को मैं कैसें फेस करूंगा, पता नहीं उसके घरवालों के सामने क्या और कैसे बताउंगा।"
हम यह बातचीत कर ही रहें थे हमारें कुछ और साथी वहां आ गएँ, और पांडेजीने पूरा वाकया फिरसे सभी को सुनाया। यह सुनकर हमारें सभी साथी चिंतित थे। किसी को भी काम करने का मन ही नहीं हो रहा था। उतने में हमारा एक साथी इशारा करतें हुए कहा "वो देखो रोहन।" सब लोग खामोश नज़र से उसे देखने लगे।हमारें एक साथी तो पांडे को गालिया देकर कहने लगा, साला सुबह सुबह इस भैया की बातों में आ गया।
अब पांडे को रहा नहीं गया उसने रोहन से पूछ ही लिया।
रोहन शांत होकर बताने लगा। "जब मैं अँधेरी स्टेशन बाजु वालें ट्रैक से क्रोस्सिंग कर रहा था, हमें पता नहीं चला की वह लोकल उसी लाइन पे आ रहीं हैं जिस पे हम खड़े थे। मेरे सामने का एक आदमी मर गया और मेरा बैग उसके साथ गिर गया, और उसी में मेरा रेलवे पास था। हे भगवान आज तो बच गया। अँधेरी स्टेशन पे एक जगह ऐसी हैं की, सभी को लगता हैं की ट्रेन बाजु के ट्रैक पे आ रही हैं लेकिन कभी कभी ट्रेन इस ट्रैक पे आ जाती हैं।"
बात तो सच हैं मुंबई हर रोज कितने लोग इस यमराज के बिछाये हुए जाल में कटकर मर जातें हैं। हमारी थोडीसी लापरवाही हमें मौत के घाट उतार सकती हैं। हमारें पास हर जगह पुल बने हैं, लेकिन कुछ लोगों को वक्त ही नहीं मिलता की उस पुल का उपयोग करें। शायद यह भी यमराज की चाल हो सकती हैं, जो उन्हीको समय के इस मायाजाल में अटका देता हैं, की वो सीधा रेलवे लाइन से कटकर सीधा यमपूरी में दाखिला ले सके ।
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