मंगलवार, 28 अगस्त 2012

बांग्लादेशी मुसलमान

              असम के दंगे, मुंबई में रैली के दौरान हिंसा, क्या यह सब बांग्लादेशी मुसलमानों की करतूत तो नहीं हैं? क्यूंकि उन लोगों के खून में हिंसा, बलत्कार और कट्टरवाद भर चुका है, और अब यह उनकी आदत बन चुकी हैं। इसका प्रमाण हैं तसलीमा नसरीन की "लज्जा" जो वहां के हालात के चित्रण के साथ साथ पुरे दुनिया के लिए एक उदाहरण हैं। बात जब तक उनके देश तक सिमित हैं,  हम कुछ भी नहीं कर सकते, जब यहीं  बात  हमारें भारत देश में होती हैं तो हमें सोचना पड़ेगा की इसका इलाज़ क्या हैं, इसका निवारण कैसे हो।
 
           दुनिया में जहां भी हो, वो दंगे करेंगे, क्यूँ की, उनको आदत पड़ चुकी हैं की, दुसरे धर्म पर आक्रमण करकर उनके जान माल को क्षती पहुंचाना। अब यही चेहरा उभरकर आ रहा हैं। जब वो खुद के देश में इतना सब कुछ करते हैं तो, दुसरे देश में इससे भी कई ज्यादा करेंगे। क्यूँ की वो उनका देश नहीं हैं। दुसरे कौनसे देश में भी इजाजत के बिना जा नहीं सकतें, सिर्फ भारत को छोड़कर।

          हम सब अपने अपने गाँव से प्यार करते हैं, जहाँ हमने अपना बचपन गुजारा हैं। हम सब अपनी भूमि से प्यार करते हैं, इस लिय तो हम सब इन विषयों पर सोचते हैं। अब बात यह हैं की जो लोग विदेश से आकर यहाँ बसते हैं, वो देश के बारें में क्यूँ सोचेंगे? सोच भी नहीं सकते। एक तरफ बांग्लादेशी मुस्लिम जो देश में आकर आतंक  मचा रहें हैं, दूसरी तरफ विदेशी देश चला रहें हैं। इसमें देश प्रेम कहाँसे आयेगा, और जब तक देश के प्रति प्रेम नहीं हैं वो देश हित में कदम क्यूँ उठाएंगे।

          जब पकिस्तान, इराक़  और अफगानिस्तान हर रोज़ कई मुस्लिम लोग आतंक से  मारे जातें हैं, तब कोई मोर्चा नहीं निकालता, कोई आवाज़ नहीं उठती। असम में लोग मरते हैं, कोई मोर्चा नहीं निकालता, कोई आवाज़ नहीं उठती। सरकार चुप, मीडिया चुप, और नेता भी चुप।  लेकीन जब  बर्मा में कुछ लोग मरते हैं तो मुंबई से लेकर लन्दन तक मोर्चे निकालते  हैं।  क्या जो पकिस्तान, इराक  और अफगानिस्थान  में मरने वालें इंसान नहीं है? वो भी इंसान हैं लेकिन मरने वाले और मारने वाले एक ही धर्म के हैं।क्या असम में मरने वालें इंसान नहीं हैं? असम की बात अलग हैं वहाँ जो मर रहें हैं वो तो मोर्चे वालें धर्म के नहीं हैं। टीवी  पर बड़े बड़े बातें करनेवालें फ़िल्मी लोग, जावेद अख्तर, आमिर खान आदि,  किसी ने भी नहीं कहा की असम में गलत हो रहा हैं।  देश के नेता लोग क्या करेंगे जो गुलाम बन बैठे हैं।.....आखिर कब कब तक सहेंगे ?

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